मोहित अपनी गलतियों को स्वीकार करता है कि उसने कुछ ऐसा किया होगा जिससे रुचि असहज हो जाती। इस गलती को मानकर मोहित इसकी ज़िम्मेदारी लेता है कि उसने रुचि को क्या नुकसान पहुँचाया है और उसे रुचि की सीमाओं का कदर करना चाहिए।